गांव-गांव ढाणी सैरां में अलख जगावौ रे
राजस्थांनी भासा नै गळै लगावौ रे
मायड़ भासा नै सगळाई हिवड़ै लगावौ रे
इण में मीरा री भगती है
इण में वीरां री सगती है
आवौ नीं अणमोल खजानौ खोल बतावौ रे
इण में पदमण री पूंजी है
आजादी इण्में गूंजी है
गफ़लत में सूतां भाया नै परा जगावौ रे
प्रीत कळसिया भर-भर पाया
हालरियौ पूतां रै सुलाया
मावड़ री ममता नै भायां कियां भुलावौ रे
सावण बरसै इंदर गाजै
ढोल नगाड़ा इणमें बाजै
सातौईं फेरा खावै लाडेसर आवै सावौ रे
कुटंब-कबीला एक राखिया
इमरत रा फळ आपां चाखिया
घर सूं काढ़ स्यान थां मत घमावौ रे
रेत में रमियोड़ी भासा
मिनखां रै मनड़ै री आसा
मानतौ मिळ जावै इणनै जतन करावौ रे
इणमें मूमल री मेड़ी है
प्रीत-रीत राचै जैड़ी है
ढोला-मारु हुया मुलक में कोई बतावौ रे
उड़ उड़ रे म्हारा, काळा रे कागला
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे
उड़ उड़ रे म्हारा, काळा रे कागला
कद म्हारा पीव्जी घर आवे
कद म्हारा पीव्जी घर आवे , आवे र आवे
कद म्हारा पिव्जी घर आवे
उड़ उड़ रे म्हारा काळा र कागला
कद माहरा पीव्जी घर आवे
खीर खांड रा जीमण जीमाऊँ
सोना री चौंच मंढाऊ कागा
जद म्हारा पिव्जी घर आवे, आवे रे आवे
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे
म्हारा काळा र कागला
कद माहरा पीव्जी घर आवे
पगला में थारे बांधू रे घुघरा
गला में हार कराऊँ कागा
जद महारा पिव्जी घर आवे
उड़ उड़ रे
महारा काळा रे कागला
कद महारा पिव्जी घर आवे
उड़ उड़ र महारा काला र कागला
कद महरा पिव्जी घर आवे
जो तू उड़ने सुगन बतावे
जनम जनम गुण गाऊँ कागा
जद मारा पिव्जी घर आवे , आवे र आवे
जद म्हारा पिव्जी घर आवे
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे महारा काळा रे कागला
कद म्हारा पिव्जी घर आवे
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे म्हारा काळा रे कगला
जद म्हारा पिव्जी घर आवे
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे
उड़ उड़ रे म्हारा, काळा रे कागला
कद म्हारा पीव्जी घर आवे
कद म्हारा पीव्जी घर आवे , आवे र आवे
कद म्हारा पिव्जी घर आवे
उड़ उड़ रे म्हारा काळा र कागला
कद माहरा पीव्जी घर आवे
खीर खांड रा जीमण जीमाऊँ
सोना री चौंच मंढाऊ कागा
जद म्हारा पिव्जी घर आवे, आवे रे आवे
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे
म्हारा काळा र कागला
कद माहरा पीव्जी घर आवे
पगला में थारे बांधू रे घुघरा
गला में हार कराऊँ कागा
जद महारा पिव्जी घर आवे
उड़ उड़ रे
महारा काळा रे कागला
कद महारा पिव्जी घर आवे
उड़ उड़ र महारा काला र कागला
कद महरा पिव्जी घर आवे
जो तू उड़ने सुगन बतावे
जनम जनम गुण गाऊँ कागा
जद मारा पिव्जी घर आवे , आवे र आवे
जद म्हारा पिव्जी घर आवे
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे महारा काळा रे कागला
कद म्हारा पिव्जी घर आवे
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे
उड़ उड़ रे उड़ उड़ रे म्हारा काळा रे कगला
जद म्हारा पिव्जी घर आवे
जय जय राजस्थान
ओ गोरे धोरा री धरती रो, पिच रंग पाड़ा री धरती रो
पितळ पाथळ री धरती रो, मीरा कर्माँ री धरती रो
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
ओ गोरे धोरा री धरती रो, पिच रंग पाड़ा री धरती रो
पितळ पाथळ री धरती रो, मीरा कर्माँ री धरती रो
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
कोटा बूंदी भलो भरतपुर, अलवर और अजमेर
कोटा बूंदी भलो भरतपुर, अलवर और अजमेर
पुष्कर तीरथ बडो के जिणरी महिमा चारो उमेर
दे अजमेर शरीफ औलिया ... (२), नित सत रो परमाण
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
दशों दिशा वा में गूंजे रे, वीरां रो गुणगान
दशों दिशा वा में गूंजे रे, वीरां रो गुणगान
हल्दीघाटी अर प्रताप रे तप पर जग कुर्बान
चेतक अर चित्तौड़ पर सारे .. (२) जग ने है अभिमान
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
उदियापुर में एकलिंगजी, गणपति रणथम्भोर
उदियापुर में एकलिंगजी, गणपति रणथम्भोर
जयपुर में आमेर भवानी, जोधाणे मंडौर
बिकाणे में करणी माता ... (२), राठोडा री शान
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
आबू छत्तर तो सीमा रो रक्षक जैसलमेर
आबू छत्तर तो सीमा रो रक्षक जैसलमेर
इण रे गढ़ रा परपोटा है बाँका घेर घुमेर
घर घर गूंजे मेडतणी ... (२), मीरा रा मीठा गान
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
राणी सती री शेखावाटी, जंगल मंगल करणी
राणी सती री शेखावाटी, जंगल मंगल करणी
खाटू वाले श्याम धणी री महिमा जाए न बरणी
करणी बरणी रोज चलावे ... (२) वायड री संतान
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
गोगा पाबू तेजो दांडू, झाम्भोजी री वाणी
गोगा पाबू तेजो दांडू, झाम्भोजी री वाणी
रामदेव के पर्चा री लीला किणसूं अणज्ञाणी
जेमल पत्ता भामाशा री ... (२) आ धरती है खाण
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
वीर पदमणी, हाड़ी राणी, जेडी सतियाँ जाई
वीर पदमणी, हाड़ी राणी, जेडी सतियाँ जाई
जोधा दुर्गा दाससा जन्म्या, जन्मी पन्ना धाई
जौहर और झुंझार सूं होवे... (२) इणरी खरी पिछाण
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
ओ गोरे धोरा री धरती रो, पिच रंग पाड़ा री धरती रो
पितळ पाथळ री धरती रो, मीरा कर्माँ री धरती रो
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
पितळ पाथळ री धरती रो, मीरा कर्माँ री धरती रो
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
ओ गोरे धोरा री धरती रो, पिच रंग पाड़ा री धरती रो
पितळ पाथळ री धरती रो, मीरा कर्माँ री धरती रो
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
कोटा बूंदी भलो भरतपुर, अलवर और अजमेर
कोटा बूंदी भलो भरतपुर, अलवर और अजमेर
पुष्कर तीरथ बडो के जिणरी महिमा चारो उमेर
दे अजमेर शरीफ औलिया ... (२), नित सत रो परमाण
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
दशों दिशा वा में गूंजे रे, वीरां रो गुणगान
दशों दिशा वा में गूंजे रे, वीरां रो गुणगान
हल्दीघाटी अर प्रताप रे तप पर जग कुर्बान
चेतक अर चित्तौड़ पर सारे .. (२) जग ने है अभिमान
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
उदियापुर में एकलिंगजी, गणपति रणथम्भोर
उदियापुर में एकलिंगजी, गणपति रणथम्भोर
जयपुर में आमेर भवानी, जोधाणे मंडौर
बिकाणे में करणी माता ... (२), राठोडा री शान
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
आबू छत्तर तो सीमा रो रक्षक जैसलमेर
आबू छत्तर तो सीमा रो रक्षक जैसलमेर
इण रे गढ़ रा परपोटा है बाँका घेर घुमेर
घर घर गूंजे मेडतणी ... (२), मीरा रा मीठा गान
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
राणी सती री शेखावाटी, जंगल मंगल करणी
राणी सती री शेखावाटी, जंगल मंगल करणी
खाटू वाले श्याम धणी री महिमा जाए न बरणी
करणी बरणी रोज चलावे ... (२) वायड री संतान
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
गोगा पाबू तेजो दांडू, झाम्भोजी री वाणी
गोगा पाबू तेजो दांडू, झाम्भोजी री वाणी
रामदेव के पर्चा री लीला किणसूं अणज्ञाणी
जेमल पत्ता भामाशा री ... (२) आ धरती है खाण
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
वीर पदमणी, हाड़ी राणी, जेडी सतियाँ जाई
वीर पदमणी, हाड़ी राणी, जेडी सतियाँ जाई
जोधा दुर्गा दाससा जन्म्या, जन्मी पन्ना धाई
जौहर और झुंझार सूं होवे... (२) इणरी खरी पिछाण
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
ओ गोरे धोरा री धरती रो, पिच रंग पाड़ा री धरती रो
पितळ पाथळ री धरती रो, मीरा कर्माँ री धरती रो
कितरो, कितरो मैं कराँ रे बखाण
कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान
घर गूंज्या भाई धर्मजला
घर गूंज्या भाई धर्मजला
धर्मजला भाई धर्मजला हो हो
पातल’र पीथल
अरै घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो।
नान्हो सो अमर्यो चीख पड्यो राणा रो सोयो दुख जाग्यो।
हूं लड्यो घणो हूं सह्यो घणो
मेवाड़ी मान बचावण नै,
हूं पाछ नहीं राखी रण में
बैर्यां री खात खिडावण में,
जद याद करूँ हळदी घाटी नैणां में रगत उतर आवै,
सुख दुख रो साथी चेतकड़ो सूती सी हूक जगा ज्यावै,
पण आज बिलखतो देखूं हूँ
जद राज कंवर नै रोटी नै,
तो क्षात्र-धरम नै भूलूं हूँ
भूलूं हिंदवाणी चोटी नै
मैं’लां में छप्पन भोग जका मनवार बिनां करता कोनी,
सोनै री थाल्यां नीलम रै बाजोट बिनां धरता कोनी,
ऐ हाय जका करता पगल्या
फूलां री कंवळी सेजां पर,
बै आज रुळै भूखा तिसिया
हिंदवाणै सूरज रा टाबर,
आ सोच हुई दो टूक तड़क राणा री भीम बजर छाती,
आंख्यां में आंसू भर बोल्या मैं लिख स्यूं अकबर नै पाती,
पण लिखूं कियां जद देखै है आडावळ ऊंचो हियो लियां,
चितौड़ खड्यो है मगरां में विकराळ भूत सी लियां छियां,
मैं झुकूं कियां ? है आण मनैं
कुळ रा केसरिया बानां री,
मैं बुझूं कियां ? हूं सेस लपट
आजादी रै परवानां री,
पण फेर अमर री सुण बुसक्यां राणा रो हिवड़ो भर आयो,
मैं मानूं हूँ दिल्लीस तनैं समराट् सनेषो कैवायो।
राणा रो कागद बांच हुयो अकबर रो’ सपनूं सो सांचो,
पण नैण कर्यो बिसवास नहीं जद बांच नै फिर बांच्यो,
कै आज हिंमाळो पिघळ बह्यो
कै आज हुयो सूरज सीतळ,
कै आज सेस रो सिर डोल्यो
आ सोच हुयो समराट् विकळ,
बस दूत इसारो पा भाज्यो पीथळ नै तुरत बुलावण नै,
किरणां रो पीथळ आ पूग्यो ओ सांचो भरम मिटावण नै,
बीं वीर बांकुड़ै पीथळ नै
रजपूती गौरव भारी हो,
बो क्षात्र धरम रो नेमी हो
राणा रो प्रेम पुजारी हो,
बैर्यां रै मन रो कांटो हो बीकाणूँ पूत खरारो हो,
राठौड़ रणां में रातो हो बस सागी तेज दुधारो हो,
आ बात पातस्या जाणै हो
धावां पर लूण लगावण नै,
पीथळ नै तुरत बुलायो हो
राणा री हार बंचावण नै,
म्है बाँध लियो है पीथळ सुण पिंजरै में जंगळी शेर पकड़,
ओ देख हाथ रो कागद है तूं देखां फिरसी कियां अकड़ ?
मर डूब चळू भर पाणी में
बस झूठा गाल बजावै हो,
पण टूट गयो बीं राणा रो
तूं भाट बण्यो बिड़दावै हो,
मैं आज पातस्या धरती रो मेवाड़ी पाग पगां में है,
अब बता मनै किण रजवट रै रजपती खून रगां में है ?
जंद पीथळ कागद ले देखी
राणा री सागी सैनाणी,
नीचै स्यूं धरती खसक गई
आंख्यां में आयो भर पाणी,
पण फेर कही ततकाळ संभळ आ बात सफा ही झूठी है,
राणा री पाघ सदा ऊँची राणा री आण अटूटी है।
ल्यो हुकम हुवै तो लिख पूछूं
राणा नै कागद रै खातर,
लै पूछ भलांई पीथळ तूं
आ बात सही बोल्यो अकबर,
म्हे आज सुणी है नाहरियो
स्याळां रै सागै सोवै लो,
म्हे आज सुणी है सूरजड़ो
बादळ री ओटां खोवैलो;
म्हे आज सुणी है चातगड़ो
धरती रो पाणी पीवै लो,
म्हे आज सुणी है हाथीड़ो
कूकर री जूणां जीवै लो
म्हे आज सुणी है थकां खसम
अब रांड हुवैली रजपूती,
म्हे आज सुणी है म्यानां में
तरवार रवैली अब सूती,
तो म्हांरो हिवड़ो कांपै है मूंछ्यां री मोड़ मरोड़ गई,
पीथळ नै राणा लिख भेज्यो आ बात कठै तक गिणां सही ?
पीथळ रा आखर पढ़तां ही
राणा री आँख्यां लाल हुई,
धिक्कार मनै हूँ कायर हूँ
नाहर री एक दकाल हुई,
हूँ भूख मरूं हूँ प्यास मरूं
मेवाड़ धरा आजाद रवै
हूँ घोर उजाड़ां में भटकूं
पण मन में मां री याद रवै,
हूँ रजपूतण रो जायो हूं रजपूती करज चुकाऊंला,
ओ सीस पड़ै पण पाघ नही दिल्ली रो मान झुकाऊंला,
पीथळ के खिमता बादल री
जो रोकै सूर उगाळी नै,
सिंघां री हाथळ सह लेवै
बा कूख मिली कद स्याळी नै?
धरती रो पाणी पिवै इसी
चातग री चूंच बणी कोनी,
कूकर री जूणां जिवै इसी
हाथी री बात सुणी कोनी,
आं हाथां में तलवार थकां
कुण रांड़ कवै है रजपूती ?
म्यानां रै बदळै बैर्यां री
छात्याँ में रैवैली सूती,
मेवाड़ धधकतो अंगारो आंध्यां में चमचम चमकै लो,
कड़खै री उठती तानां पर पग पग पर खांडो खड़कैलो,
राखो थे मूंछ्याँ ऐंठ्योड़ी
लोही री नदी बहा द्यूंला,
हूँ अथक लडूंला अकबर स्यूँ
उजड्यो मेवाड़ बसा द्यूंला,
जद राणा रो संदेष गयो पीथळ री छाती दूणी ही,
हिंदवाणों सूरज चमकै हो अकबर री दुनियां सूनी ही।
नान्हो सो अमर्यो चीख पड्यो राणा रो सोयो दुख जाग्यो।
हूं लड्यो घणो हूं सह्यो घणो
मेवाड़ी मान बचावण नै,
हूं पाछ नहीं राखी रण में
बैर्यां री खात खिडावण में,
जद याद करूँ हळदी घाटी नैणां में रगत उतर आवै,
सुख दुख रो साथी चेतकड़ो सूती सी हूक जगा ज्यावै,
पण आज बिलखतो देखूं हूँ
जद राज कंवर नै रोटी नै,
तो क्षात्र-धरम नै भूलूं हूँ
भूलूं हिंदवाणी चोटी नै
मैं’लां में छप्पन भोग जका मनवार बिनां करता कोनी,
सोनै री थाल्यां नीलम रै बाजोट बिनां धरता कोनी,
ऐ हाय जका करता पगल्या
फूलां री कंवळी सेजां पर,
बै आज रुळै भूखा तिसिया
हिंदवाणै सूरज रा टाबर,
आ सोच हुई दो टूक तड़क राणा री भीम बजर छाती,
आंख्यां में आंसू भर बोल्या मैं लिख स्यूं अकबर नै पाती,
पण लिखूं कियां जद देखै है आडावळ ऊंचो हियो लियां,
चितौड़ खड्यो है मगरां में विकराळ भूत सी लियां छियां,
मैं झुकूं कियां ? है आण मनैं
कुळ रा केसरिया बानां री,
मैं बुझूं कियां ? हूं सेस लपट
आजादी रै परवानां री,
पण फेर अमर री सुण बुसक्यां राणा रो हिवड़ो भर आयो,
मैं मानूं हूँ दिल्लीस तनैं समराट् सनेषो कैवायो।
राणा रो कागद बांच हुयो अकबर रो’ सपनूं सो सांचो,
पण नैण कर्यो बिसवास नहीं जद बांच नै फिर बांच्यो,
कै आज हिंमाळो पिघळ बह्यो
कै आज हुयो सूरज सीतळ,
कै आज सेस रो सिर डोल्यो
आ सोच हुयो समराट् विकळ,
बस दूत इसारो पा भाज्यो पीथळ नै तुरत बुलावण नै,
किरणां रो पीथळ आ पूग्यो ओ सांचो भरम मिटावण नै,
बीं वीर बांकुड़ै पीथळ नै
रजपूती गौरव भारी हो,
बो क्षात्र धरम रो नेमी हो
राणा रो प्रेम पुजारी हो,
बैर्यां रै मन रो कांटो हो बीकाणूँ पूत खरारो हो,
राठौड़ रणां में रातो हो बस सागी तेज दुधारो हो,
आ बात पातस्या जाणै हो
धावां पर लूण लगावण नै,
पीथळ नै तुरत बुलायो हो
राणा री हार बंचावण नै,
म्है बाँध लियो है पीथळ सुण पिंजरै में जंगळी शेर पकड़,
ओ देख हाथ रो कागद है तूं देखां फिरसी कियां अकड़ ?
मर डूब चळू भर पाणी में
बस झूठा गाल बजावै हो,
पण टूट गयो बीं राणा रो
तूं भाट बण्यो बिड़दावै हो,
मैं आज पातस्या धरती रो मेवाड़ी पाग पगां में है,
अब बता मनै किण रजवट रै रजपती खून रगां में है ?
जंद पीथळ कागद ले देखी
राणा री सागी सैनाणी,
नीचै स्यूं धरती खसक गई
आंख्यां में आयो भर पाणी,
पण फेर कही ततकाळ संभळ आ बात सफा ही झूठी है,
राणा री पाघ सदा ऊँची राणा री आण अटूटी है।
ल्यो हुकम हुवै तो लिख पूछूं
राणा नै कागद रै खातर,
लै पूछ भलांई पीथळ तूं
आ बात सही बोल्यो अकबर,
म्हे आज सुणी है नाहरियो
स्याळां रै सागै सोवै लो,
म्हे आज सुणी है सूरजड़ो
बादळ री ओटां खोवैलो;
म्हे आज सुणी है चातगड़ो
धरती रो पाणी पीवै लो,
म्हे आज सुणी है हाथीड़ो
कूकर री जूणां जीवै लो
म्हे आज सुणी है थकां खसम
अब रांड हुवैली रजपूती,
म्हे आज सुणी है म्यानां में
तरवार रवैली अब सूती,
तो म्हांरो हिवड़ो कांपै है मूंछ्यां री मोड़ मरोड़ गई,
पीथळ नै राणा लिख भेज्यो आ बात कठै तक गिणां सही ?
पीथळ रा आखर पढ़तां ही
राणा री आँख्यां लाल हुई,
धिक्कार मनै हूँ कायर हूँ
नाहर री एक दकाल हुई,
हूँ भूख मरूं हूँ प्यास मरूं
मेवाड़ धरा आजाद रवै
हूँ घोर उजाड़ां में भटकूं
पण मन में मां री याद रवै,
हूँ रजपूतण रो जायो हूं रजपूती करज चुकाऊंला,
ओ सीस पड़ै पण पाघ नही दिल्ली रो मान झुकाऊंला,
पीथळ के खिमता बादल री
जो रोकै सूर उगाळी नै,
सिंघां री हाथळ सह लेवै
बा कूख मिली कद स्याळी नै?
धरती रो पाणी पिवै इसी
चातग री चूंच बणी कोनी,
कूकर री जूणां जिवै इसी
हाथी री बात सुणी कोनी,
आं हाथां में तलवार थकां
कुण रांड़ कवै है रजपूती ?
म्यानां रै बदळै बैर्यां री
छात्याँ में रैवैली सूती,
मेवाड़ धधकतो अंगारो आंध्यां में चमचम चमकै लो,
कड़खै री उठती तानां पर पग पग पर खांडो खड़कैलो,
राखो थे मूंछ्याँ ऐंठ्योड़ी
लोही री नदी बहा द्यूंला,
हूँ अथक लडूंला अकबर स्यूँ
उजड्यो मेवाड़ बसा द्यूंला,
जद राणा रो संदेष गयो पीथळ री छाती दूणी ही,
हिंदवाणों सूरज चमकै हो अकबर री दुनियां सूनी ही।
राजस्थांनी बिना कियां, यो राजस्थांनी कुहावेलौ
मायड़ भासा नै भूल कियां, मायड़ रौ करज चुकावांला ।
आपणी भासा रै बिना कियां, आपणौ अस्तित्व बचावांला ॥
मायड़ भासा वा भासा है, जो घर में बोली जावै है ।
मायड़ री गोदी में टाबर जीं भासा में तुतळावै है ॥
धरती री सौन्धी महक लियां, जो घुंटी-सी पच जावै है ।
मां ममता सूं दुलरावै, जीं भासा में प्रेम लुटावै है ॥
आपणी मायड़ भासा सूं आपां ईं आपणौ सिणगार करां ।
आपणी भासा सूं हेत करया ईं आपणौ धरम निभावांला ॥
आ राजस्थांनी नुवी कोनीं, ईं रौ इतिहास पुराणौ है ।
वौ टौड अर ग्रियसन तक, इणरी महत्ता नै मानी है ॥
मरुधर री आ भासा पण, सबदां रौ घणौ खजानौ है ।
ग्रंथां री कोई कमी कोनीं, या सच्चाई समझणी है ॥
सैं लोग आपणी भासा नै, मायड़ भासा नै चावै है ।
आपां ईं मायड़ भासा रा, इब सांचा पूत कुहावांला ॥
जीं भासा में मीरा गाई, रस भगती रौ सरसायौ हौ ।
राणा प्रताप-भामासा, जीं धरती रौ मान बधायौ हौ ॥
पदमणियां सत रक्षा नै, जौहर रौ पाठ पढायौ हौ ।
धोरा धरती संगीत बणी, किस्सां में जोश सवायौ हौ ॥
वीं राजस्थांनी नै आपणौ, सगळौ अधिकार दिराणौ है ।
यो धरम निभावांला नहीं, तौ पूत कपूत कुहावांला ॥
या सांत करोड़ सपूतां री नीज भासा राजस्थांनी है ।
हरियाणै राजस्थांन अर माळवै री घर-धणियाणी है ॥
तेस्सीतोरी-इटली जायै री, सैं सूं प्यारी वाणी है ।
या मरुभोम री मरुभासा, वीरां री जोश जवाणी है ॥
राजपूतां री तलवारां पर मरुभासा धार चढावै है ।
रणखेतां री ईं भासा पर आपणौ ईं शीश नवावांला ॥
भासा आपणी रै रहया बिना, यो देस कियां बच पावैलौ ।
अर राजस्थांनी बिना कियां, यो राजस्थांनी कुहावेलौ ॥
आपणी संस्कृती नै छोड्या सूं, कियां सम्मान बचावेलौ ।
मायड़ भासा नै बिसरायां, सैं माटी में मिळ जावेलौ ॥
आपणी भासा नै अपणावौ, आपणी भासा मत दुरसावौ ।
धरती माता नै भूल कियां, माटी रौ मोल चुकावांला ॥
आपणी भासा रै बिना कियां, आपणौ अस्तित्व बचावांला ॥
मायड़ भासा वा भासा है, जो घर में बोली जावै है ।
मायड़ री गोदी में टाबर जीं भासा में तुतळावै है ॥
धरती री सौन्धी महक लियां, जो घुंटी-सी पच जावै है ।
मां ममता सूं दुलरावै, जीं भासा में प्रेम लुटावै है ॥
आपणी मायड़ भासा सूं आपां ईं आपणौ सिणगार करां ।
आपणी भासा सूं हेत करया ईं आपणौ धरम निभावांला ॥
आ राजस्थांनी नुवी कोनीं, ईं रौ इतिहास पुराणौ है ।
वौ टौड अर ग्रियसन तक, इणरी महत्ता नै मानी है ॥
मरुधर री आ भासा पण, सबदां रौ घणौ खजानौ है ।
ग्रंथां री कोई कमी कोनीं, या सच्चाई समझणी है ॥
सैं लोग आपणी भासा नै, मायड़ भासा नै चावै है ।
आपां ईं मायड़ भासा रा, इब सांचा पूत कुहावांला ॥
जीं भासा में मीरा गाई, रस भगती रौ सरसायौ हौ ।
राणा प्रताप-भामासा, जीं धरती रौ मान बधायौ हौ ॥
पदमणियां सत रक्षा नै, जौहर रौ पाठ पढायौ हौ ।
धोरा धरती संगीत बणी, किस्सां में जोश सवायौ हौ ॥
वीं राजस्थांनी नै आपणौ, सगळौ अधिकार दिराणौ है ।
यो धरम निभावांला नहीं, तौ पूत कपूत कुहावांला ॥
या सांत करोड़ सपूतां री नीज भासा राजस्थांनी है ।
हरियाणै राजस्थांन अर माळवै री घर-धणियाणी है ॥
तेस्सीतोरी-इटली जायै री, सैं सूं प्यारी वाणी है ।
या मरुभोम री मरुभासा, वीरां री जोश जवाणी है ॥
राजपूतां री तलवारां पर मरुभासा धार चढावै है ।
रणखेतां री ईं भासा पर आपणौ ईं शीश नवावांला ॥
भासा आपणी रै रहया बिना, यो देस कियां बच पावैलौ ।
अर राजस्थांनी बिना कियां, यो राजस्थांनी कुहावेलौ ॥
आपणी संस्कृती नै छोड्या सूं, कियां सम्मान बचावेलौ ।
मायड़ भासा नै बिसरायां, सैं माटी में मिळ जावेलौ ॥
आपणी भासा नै अपणावौ, आपणी भासा मत दुरसावौ ।
धरती माता नै भूल कियां, माटी रौ मोल चुकावांला ॥
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